डॉ. मनीभाई देसाई गुजरात के सूरत जिले में कोसमाड़ा गांव में 27 अप्रैल 1920 को हुआ था. एक युवा छात्र के रूप में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी शामिल हो गए. 1945 में उन्होंने गांधी जी से एक पत्र में वर्धा में सेवाश्रम आश्रम में आने का स्वागत किया. 1946 में गांधी जी ने पुणे के निकट उरूलीकंचन में प्राकृतिक चिकित्सा आश्रम की स्थापना की और डॉ. मनीभाई को अपनी जिम्मेदारी सौंपी ।
डॉ. मनीभाई देसाई (1920-1993)
डॉ. मनीभाई देसाई संस्थापक, BAIF
47 साल के अंतराल के दौरान उन्होंने प्रकृति के इलाज पर भी डेवलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की BAIF ही बढ़ावा नहीं (पूर्व भारतीय कृषि उद्योग फाउंडेशन के रूप में जाना). डॉ. मनीभाई देसाई के उत्थान के लिए अपनी पूरी जिंदगी समर्पित ग्रामीण प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण के स्थाई प्रबंधन के माध्यम से गरीब. उसके अलावा क्या स्थापित महात्मा गांधी के कई अन्य अनुयायी से अपने को सतत आजीविका के लिए उनके दरवाजे पर गति में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बदलते समय के साथ आवेदन पत्र के माध्यम से लाभकारी रोजगार के अवसर पैदा करने के ग्रामीण गरीबों की सेवा प्रतिबद्धता थी.